Thursday 4 December 2014

सत्यनिष्ठा और देशभक्ति

सत्यनिष्ठा व्यक्ति के स्वभाव का गुण है। यदि कोई व्यक्ति सत्यनिष्ठ है, तो वह घर पर सत्यनिष्ठ होगा, वह व्यवसाय में भी सत्यनिष्ठ होगा। चाहे वह पति हो या पत्नी, वह अपने जीवन साथी के लिए सत्यनिष्ठ होगा। सत्यनिष्ठ व्यक्ति जहां भी होता है, सत्यनिष्ठा उसके चरित्र से साफ झलकती है। यही बात भक्ति के लिए भी सच है। भगवान का भक्त देश का भी भक्त होता है और साथ ही सारी सृष्टि का भक्त होता है। उसकी भक्ति और उसका प्रेम जीवन के हर क्षेत्र में दिखाई देती है। अक्सर लोग प्रश्न करते है कि भगवान का भक्त देश का भक्त कैसे हो सकता है? मै कहता हूं कि अगर कोई अपने देश के लिए निष्ठावान है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह किसी और देश या और बाकी सारे देशों का दुश्मन है।
दरअसल, हमारा दृष्टिकोण देशभक्ति के लिए बहुत ही संकीर्ण है। सामान्यत: हम किस प्रकार से अपनी देशभक्ति प्रदर्शित करते हैं, अन्य देशों का विरोध करके या फिर उनसे शत्रुता रखकर?  जब अंग्रेजों का हिन्दुस्तान पर राज था, तब उस समय अगर हम अंग्रेजों के विरुद्ध खड़े होते थे, तो हम देशभक्त कहलाते थे। आजकल अगर हम पड़ोसी देश पाकिस्तान के विरुद्ध खड़े होते हैं, तो हम देशभक्त कहलाते हैं। यह सही नहीं है। आपके देशभक्ति की भावना किसी देश का विरोध करने या उसे नीचा दिखाने में नहीं होनी चाहिए। जिनकी निष्ठा विश्वात्मा में है, उनको भगवान और देश की निष्ठा में कोई अंतर नहीं दिखाई देता। अगर आप अपने परिवार का ध्यान रखते है, उसका पालन-पोषण करते है, इसका मतलब यह तो नहीं होता है कि आप और लोगों के दुश्मन हो जाते हैं। अगर कोई मां अपने बच्चों को बहुत प्यार करती है, तो उसके अंदर अपने पड़ोसी के बच्चों के लिए भी प्यार हो सकता है। एक फूल की तरह, जो चाहे कहीं भी हो, श्रद्धा की सुगंध हर तरफ फैलती है

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